Sunday, July 31, 2011



अश्कों को छू कर बरसात भी जल जाएगी
हथेली पे रख दोगे तो रात पिघल जाएगी

समय की रेत को थामो खुले हाथों से
बंद करोगे मुट्ठी तो फिसल जाएगी

दिल में हौसला है, हाथों पे भरोसा
तूफान में पंशी कश्ती, आप निकल जाएगी

कभी करना ना भरोसा इस बेगानी दुनिया पर
जिस पल आँख बंद करोगे ये छल जाएगी

मैंने तो तुझको खुदा, तुझको देवता माना
गुमान ना था वक़्त पड़ने पर तस्वीर बदल जाएगी

अपनी साँसों को मेरी धड़कन में कुछ देर रहने दो
ये गयीं तो, मेरी जान निकल जाएगी

2 comments:

  1. अपनी साँसों को मेरी धड़कन में कुछ देर रहने दो
    ये गयीं तो, मेरी जान निकल जाएगी

    har ek sher behatreen hai...

    gajab..

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